Monday, July 30, 2007

" मै क्यो लिखू ? "

क्या __जरूरी है,
लिखना तुम्है समझाने को

इतने नादान भी नही तुम कि
बुझ ना सको मेरे पैमाने को ।

क्या __माँ ममत्व लिखकर दर्शाती है,
नही _ वो तो कलापों से ममत्व झलकाती है ।

क्या __भंवरा लिखता है अपने अफसाने को,
नही _ वो तो केवल गुनगुनाता है प्रॆम दर्शाने को।

क्या __पतंगा लिखता है अपना प्रॆम किसी परवाने को,
नही _ वो तो सहर्ष जल जाता है अपना प्रॆम दर्शाने को।

तो मै क्यो लिखूँ तुम्हें बतलाने को
तुम भी तो इतने नादान नही कि
बुझ ना सको मेरे पैमाने को ।

6 comments:

Rakesh K Srivastava said...

My first...

Hemant Yayavar said...

badhiya hai, hamara aashriwad tumharey saath hai Kavi. koshish karo ki Vartaniyo mein galati na ho. Vichar tumharey bahut sunder hain ismein koi shaq nahi.

Anonymous said...

hey rakesh, is this the first one........cant believe.

its too gud. keep it up.....
cheers

Srik said...

Wonderful!

यह काव्य प्रथमतः मेरे blogमे प्रकठित हुई थी । मेरे शुभ कामनाये गाथा को और तुमको भी ।

उन्मुक्त said...

हिन्दी चिट्ठाजगत में स्वागत है। लिखिये और लिखिये, खुब लिखिये।

Unknown said...

hmmmm Good one!!! Are humare liye na sahi kisi apne ke liye hi likh do