Tuesday, November 6, 2007

चेहरों की धूप आँखों की गहराई ले गया..

चेहरों की धूप आँखों की गहराई ले गया..


चेहरों की धूप आँखों की गहराई ले गया
आईना सारे शहर की बीनाई ले गया

डूबे हुए जहाज़ पे क्या तबसरा करें
ये हादसा तो सोच की गहराई ले गया

हालाँकि बेज़ुबान था लेकिन अजीब था
जो शख़्स मुझसे छीन के गोआई ले गया

इस वक्त तो मैं घर से निकलने न पाऊँगा
बस इक कमीज़ थी जो मेरा भाई ले गया

झूठे कसीदे लिखे गए उसकी शान में
जो मोतियों से छीन के सच्चाई ले गया

यादों की एक भीड़ मेरे साथ छोड़कर
क्या जाने वो कहाँ मेरी तन्हाई ले गया

अब तो खुद अपनी साँसें लगती हैं बोझ सी
उम्रों का देव सारी तवनाई ले गया।

- राहत इंदौरी

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